अपने पिता बिंदुसार की मृत्यु के बाद अशोक मौर्य साम्राज्य का शासक बना। अभिलेखों एवं साहित्यिक स्त्रोतों में उसे 'देवनाम पियदस्सी' कहा गया है। बिंदुसार के शासनकाल में अशोक अवंति (उज्यजयिनी) का उपशासक या गवर्नर था। तक्षशिला में हुए विद्रोहों को उसने सफलतापूर्वक दबा दिया था। सिंहली अनुस्त्रुतियो (श्रीलंका) के अनुसार अशोक ने अपने 99 भाइयों को मारकर गद्दी पर बैठा था।
लगभग 273Bc में अशोक मगध के राजगद्दी पर बैठा। मास्की तथा गुरजरा के लेखों में उसका नाम 'अशोक' मिलता है। जबकि पुराणों में उसेे अशोक वर्धन कहा गया है।
लगभग 273Bc में अशोक मगध के राजगद्दी पर बैठा। मास्की तथा गुरजरा के लेखों में उसका नाम 'अशोक' मिलता है। जबकि पुराणों में उसेे अशोक वर्धन कहा गया है।
अपने शासन के आठवें वर्ष (261ई.पू.) में अशोक ने कलिंग पर आक्रमण किया। ध्यातव्य है कि अशोक का विधिवत राज्याभिषेक राज्यारोहण के चार वर्ष बाद 269ई.पू. में हुआ था। अशोक के 13वें शिलालेख में कलिंग युद्ध का वर्णन मिलता है।कलिंग युद्ध में अशोक विजयी रहा। कलिंग को मौर्य साम्राज्य का अंग बना लिया गया। परंतु कलिंग युद्ध अशोक के शासनकाल का पहला और अंतिम युद्ध था। अशोक ने लगभग 37 वर्षों तक शासन किया और 236ई.पू. में उसकी मृत्यु हो गई। भारतीय इतिहास में अशोक अपनी धम्मनीति को लेकर ही सर्वाधिक चर्चित है।
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